उमा भारती का खत्म हो चुका जनाधार,शराबबंदी पर कर रहीं फिजूल की राजनीति

संत समिति के महासचिव जितेंद्रानंद सरस्वती बोले- उमा का जनाधार खत्म हो चुका है,उमा भारती फिजूल की राजनीति कर रहीं शराबबंदी पर 

 मध्यप्रदेश में उठाई जा रही शराबबंदी की मांग पर संत समिति की राय क्या है?

जितेंद्रानंद : संत समिति ऐसे राजनीतिक मांगों से सहमत नहीं हैं। उमाजी का सारा जनाधार खत्म हो चुका है। वे अब राजनीति के लायक नहीं रही हैं। वे सिर्फ शिवराज को धर्म संकट में डालने के लिए सवाल उठा रही हैं। मैं पूछता हूं कि शराबबंदी यदि उज्जैन में करा दी गई, तो क्या काल भैरव को शराब चढ़ना बंद हो जाएगी।

प्रत्येक संप्रदायों की अपनी एक संहिता है, वैष्णवों की अपनी परंपरा है, उनमें लहसुन प्याज भी नहीं खाते, तो क्या वहां लहसुन प्याज को बैन कराना चाहिए?। क्या शाक्त पीठों, अष्ठ भैरव और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के स्थान पर जहां भैरव की पूजा होती है, वहां कैसे शराब को बैन किया जा सकता है? इसलिए धर्म के मर्म को समझे बगैर ऊलजुलूल और फिजूल की मांग करना राजनीति और स्वयं को चर्चा में लाने के अलावा कुछ और नहीं हैं।

साधु-संतों का राजनीति में दखल और नेताओं से मेल-मुलाकातें कितनी उचित हैं?

जितेंद्रानंद : राज स्वयं में धर्म हैं, राज-धर्म को कभी अलग नहीं किया जा सकता। राजनीति से धर्म का विरत (अलग) होना ही अधर्मी राजनीति को जन्म देता है। जब राजनीति अधर्मी होती है तो वह प्रजा के कल्याण के बजाए अपने स्वार्थ पूरे करती है।

संतों के लिए भी आचार संहिता होनी चाहिए?

जितेंद्रानंद : 2023 के अंत तक पूरे विश्व के सनातनी हिंदू समाज के लिए एक निश्चित आचार संहिता सामने आएगी, जिसमें संतो की भी आचार संहिता होगी। संत समिति, अखिल भारतीय आखाड़ा परिषद, विश्व हिंदू परिषद सभी ने मिलकर इसके लिए काम किया है, जल्द ही हम सब ऐसा होता देख सकेंगे।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव दंडी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के शराबबंदी आंदोलन को फिजूल की राजनीति और खुद को चर्चा में बनाए रखने की लालसा बताया। दंडी स्वामी पिछले दिनों हिंदू जागरण मंच के एक कार्यक्रम में भाग लेने भोपाल आए थे। दैनिक भास्कर ने उनसे तमाम मुद्दों पर चर्चा की।

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