1032 पाकिस्तानी करेगें भारत में पहली बार वोट,विपक्ष ने बताई मोदी कि साजिश.
अब तक आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसे हो सकता है. मगर ये मुमकिन हुआ है. इसलिए क्योंकि अब ये पाकिस्तानी, पूर्व पाकिस्तानी हो चुके हैं. गुजरात सरकार की ओर से इन्हें पाक हिंदू शरणार्थी के तौर पर भारत के नागरिक होने का दर्जा दे दिया गया है. इसके साथ ही इन्हें वोट देने का अधिकार भी मिला है. ये शरणार्थी भारत कैसे पहुंचे और नागरिकता कैसे मिली आइए जानते हैं.
गुजरात विधानसभा चुनाव का रण सज चुका है, 1 दिसंबर को पहले चरण की वोटिंग होनी है. खास बात ये है कि इस बार गुजरात चुनाव में राज्य का सीएम चुनने के लिए ‘पाकिस्तानी’ भी वोट करेंगे. एक-दो नहीं बल्कि ऐसे नागरिकों की संख्या 1032 है जो पहली बार भारत में वोट की चोट करने वाले हैं. इसमें से कई ऐसे भी हैं जो अब तक कई बार पाकिस्तान में वोट डाल चुके हैं.
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1032 को मिली नागरिकता
गुजरात चुनाव में इस बार पहली वोट करने वाले सभी पूर्व पाकिस्तानी वर्तमान में अहमदाबाद में रह रहे हैं, पिछले पांच साल में ऐसे 1032 लोगों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है, इनमें से कई ऐसे हैं जो वर्षों से भारत की नागरिकता मांग रहे थे, मगर उनकी मांग पूरी नहीं हो रही थी. ऐसे में वे पाक हिंदू शरणार्थी बनकर यहां रह रहे थे. अहमदाबाद कलक्टर ने इनके आवेदनों पर विचार करने के बाद केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियों से मंजूरी लेने के बाद इन्हें नागरिकता प्रदान की.
सताए गए तो ली भारत की शरण
गुजरात में भारतीय नागरिकता पाने वाले वे पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जिन पर वहां के लोग लगातार जुल्म कर रहे थे. अभी भी कभी ईश निंदा के नाम पर तो कभी किसी अन्य वजह से पाक में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. इसी वजह से परेशान होकर इन हिंदुओं ने शरणार्थी के तौर पर भारत में शरण लेना मुनासिब समझा. इनमें हिंदुओं के अलावा सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग भी शामिल हैं. 2016 और 2018 गजट के मुताबिक अहमदाबाद, गांधीनगर और भुज कलक्टर ने पाकिस्तान के साथ-साथ अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को भी भारतीय नागरिकता दी है.
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पाक में दिया वोट, भारत में पहली बार मिलेगा मौका
पाक हिंदू शरणार्थियों में शामिल 36 वर्षीय दिलीप माहेश्वरी पाकिस्तान में कई बार मतदान कर चुके हैं, TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिलीप का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर जिले के मीठी कस्बे में हुआ था. 2008 से वह भारत की नागरिकता लेने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उनका ये ख्वाब 2021 में पूरा हो सका. दिलीप ने बताया कि पाकिस्तान में वह कई बार मतदान कर चुके हैं, भारत में मतदान करने का मौका पहली बार मिलेगा.
2021 में इंडियन हुए 212 पाकिस्तानी
2021 में 212 पाक हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी. इसके अलावा कुछ को इस साल भी भारतीय नागरिक होने का गौरव मिला था. इसी साल अगस्त में होम मिनिस्टर हर्ष सांघवी ने 40 शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा था. 2012 लोगों में पाक के 36 वर्षीय दिलीप माहेश्वरी भी शामिल थे. उनकी पत्नी को एक साल बाद यानी 2022 में भारत की नागरिकता मिल सकी.
वीजा पर आए, फिर यहीं रुक गए
दिलीप महेश्वरी के मुताबिक वह 2008 में पहली बार शॉर्ट टर्म टूरिस्ट वीजा पर एक तीर्थ यात्री के तौर पर भारत आए थे. यहां लांग टर्म वीजा के लिए प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. वीजा खत्म होने पर वापस पाकिस्तान जाना पड़ा. 2013 में लांग टर्म वीजा मिलने के बाद गुजरात आए और यहीं के होकर रह गए. दिलीप माहेश्वरी ने बताया कि बंटवारे के वक्त हमारे कई रिश्तेदार भारत आ गए थे, लेकिन मेरे परिवार ने पाकिस्तान में ही रुकने का फैसला किया था.