तो बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ,ऐसे कमाते है रुपए..?

पार्किंग का ठेका धीरेंद्र शास्त्री के भाई को, कमाई 50 हजार रुपए रोज, बागेश्वर धाम के महाराज ऐसे कमाते है रुपए..?

मंदिर के आसपास की जमीन पंडित धीरेंद्र शास्त्री के परिवार वालों की खेत में 10 बाय 20 का टेंट लगाकर दुकान का किराया 60 हजार से एक लाख तक किराया होता है

बागेश्वर महाराज के पास कौन सा अर्थतंत्र है, जिससे ये सारे काम बिना दक्षिणा लिए संभव है। दैनिक भास्कर की टीम बागेश्वर धाम पहुंची और जाना कि कैसे काम करता है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का अर्थतंत्र। यानी रुपयों का गणित।

मंदिर के आधा किलोमीटर पहले से प्रसाद, फुल मालाएं और खाने-पीने के सामान की दुकानें लगी हैं। खेतों में टेंट लगाकर लगी इन 10 बाय 20 की दुकानों का किराया 60 हजार से एक लाख रुपए महीने तक है। ये पूरा किराया धीरेंद्र शास्त्री और उनके परिवार के सदस्यों को जाता है। वजह ये है कि यहां ज्यादातर जमीन भी उनके परिवार की है।

बागेश्वर धाम
बागेश्वर धाम

5100 रुपए में मिलता है गरीबी मिटाने वाला श्रीयंत्र

बागेश्वर मंदिर जाने वाले रास्ते के एंट्री करते ही एक काउंटर लगा है। काउंटर पर पहुंचते ही आपको यहां अर्थतंत्र कैसे काम करता है, यह समझ आने लगेगा। यहां 5100 रुपए में श्रीयंत्र मिलता है। दावा किया जाता है कि इस यंत्र से गरीबी नहीं आती। 200 रुपए की लागत वाला यह यंत्र 5100 रुपए में बेचा जा रहा है। इसके लिए भी पहले से रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। आसपास ढेर सारी दान पेटियां रखी हुई हैं, जहां लोग नकद दान पेटी में डालते हैं।

10वीं पास के लिए डाक विभाग में निकली बम्पर वैकेंसी, इन राज्यों के लोग कर सकेंगे आवेदन

दान के लिए नकदी न हो तो ऑनलाइन पेमेंट के लिए स्कैन कोड भी लगे हैं। एचडीएफसी बैंक का अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड भी लिख रखा है। यहां कई भक्तगण अपने मोबाइल से इस बैंक खाते में राशि ट्रांसफर करते नजर आए। मंदिर समिति का कोई सेवादार नहीं बता पाया कि कितनी राशि खाते में जमा रहो रही है। वो तो बस इतना बताते हैं कि एचडीएफसी के बमीठा ब्रांच में मंदिर के चढ़ावे और अन्य राशि जमा होती है।

तो बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ,ऐसे कमाते है रुपए..?
तो बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ,ऐसे कमाते है रुपए..?

इसके अलावा काउंटर पर ही कन्या विवाह के लिए मदद की अपील भी की गई। उसका दान भी एंट्री काउंटर पर लिया जाता है। वहीं यज्ञ में यजमान बनने के लिए भी आपको इसी काउंटर पर अपना नाम लिखाना होता है, जिसकी राशि 21 से 51 हजार रुपए है। ऊपर के उदाहरणों से समझ सकते हैं कि एक काउंटर किस तरह से सिंगल विंडो का काम करता है जहां सारे काम होते हैं।

33 लाख में चचेरे भाई ने लिया पार्किंग का ठेका, रोज की वसूली 50 हजार से ज्यादा

इसके अलावा हजार से ज्यादा कारें और बसें भी यहां पहुंचती हैं। शुरुआती अनुमान के मुताबिक पार्किंग से ही रोजाना 50 हजार से एक लाख रुपए की वसूली होती है। मंगलवार-शनिवार को सबसे अधिक कमाई होती है। ग्राम पंचायत ने पार्किंग के ठेके लिए टेंडर निकाला था, जिसका बेस प्राइज 10 लाख था, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री के चचेरे भाई लोकेश गर्ग ने इसे 33.18 लाख रुपए में ले लिया।

MP में पचमढ़ी सबसे ठंडा 4 डिग्री तक लुढ़का पारा,हवाओं का रुख बदलने से दिन में हल्की ठंडक

ऑटो और ई रिक्शा की भीड़ इतनी है कि सड़क पर पैदल चलने के लिए जगह कम पड़ जाती है। ऑटो वाले बताते हैं कि रोजाना 500 से ज्यादा ऑटो और ई रिक्शा यहां यात्रियों को हाईवे से गढ़ा गांव के बागेश्वर धाम तक लाने के काम में लगे हैं। किराया 20 रुपए प्रति सवारी तय है। हर फेरे पर इन ऑटो वालों को पार्किंग चार्ज के नाम पर 20 रुपए देने पड़ते हैं। एक ऑटो वाला दिनभर में कम से कम 10 चक्कर तो लगा ही लेता है। इस तरह उसे 200 रुपए पार्किंग के देने पड़ते हैं। ऑटो वाले इससे नाराज हैं। वे चाहते हैं दिनभर में एक बार ही पार्किंग चार्ज लिए जाने चाहिए।

 तो बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ,ऐसे कमाते है रुपए..?
तो बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ,ऐसे कमाते है रुपए..?

बागेश्वर धाम पहुंचने के रास्ते में 100 से ज्यादा दुकानें हैं। दुकानों के नाम पर खेत किनारे सिर्फ टेंट लगे हैं। इन्हीं टेंट में दुकानदारों ने अपने-अपने रैक बना लिए हैं। मंदिर के करीब वाली दुकानों का किराया एक लाख रुपए महीने है। जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, किराया 80 हजार से घटता हुआ 50 हजार रुपए महीने तक हो जाता है। बताया जाता है कि ज्यादातर जमीन यहां धीरेंद्र और उनके परिवार के सदस्यों की है। किराया भी उन्हीं को जाता है।

मां के हत्यारे बेटे को उम्रकैद,पैसे के लिए मां को बेरहमी से पीटा,ग्वालियर का मामला

प्रसाद की दुकान चलाने वाले राहुल बताते हैं कि उनकी दुकान का किराया 60 हजार रुपए है। दुकान के नाम पर उन्हें केवल खाली जमीन मिली थी। शास्त्री जी के परिवार की जमीन है। दिल्ली से आईं लक्ष्मी 14 पेशी पूरी कर चुकी हैं। कहती हैं कि बार-बार आना संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने 30 हजार रुपए महीने में परिक्रमा मार्ग के पीछे की तरफ जमीन किराए पर ले ली है। वे खुद भी ठहरते हैं और जो जरूरतमंद आ जाते हैं, उन्हें भी मदद हो जाती है।

25 लाख भक्त चढ़ाते हैं 7 करोड़ के नारियल

बागेश्वर धाम में आम दिनों में 20 हजार लोग रोज पहुंचते हैं। मंगलवार और शनिवार को इनकी संख्या 2 से 2.50 लाख होती है। औसतन 25 लाख लोग महीने में यहां पहुंचते हैं। अर्जी का एक नारियल 30 रुपए में मिलता है। हनुमान जी को चढ़ने वाला पेड़े की कीमत 400 रुपए किलो तक है। अनुमान के मुताबिक 7 करोड़ रुपए के तो सिर्फ महीने में नारियल चढ़ते हैं। नारियल यहां आने वाला कमोबेश हर व्यक्ति लेता है, क्योंकि अर्जी अलग-अलग रंग के कपड़ों में लिपटे नारियल से ही लगती है। इसके अलावा लोग अपनी अपनी श्रद्धा से पेड़े और फूल मालाएं भी लेते हैं।

News source :- दैनिक भास्कर

✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें।